गोगा जाहरवीर जय गुरुदेव गोरखनाथ।
बाबा सबल सिंह बावरी गाथा-4
बोली श्याम कौर सुनो गुगा जी महाराज
अगर तीन वचन दिए है और देते हो कुछ वरदान
मुझे आज ही दे दो मेरे दो भाई बावरी की माया से छूटा के सही सलामत जान
ये बावरी मेरे धर्म के भाई लोगो के हित को आये
अपनी जात राजपूती हुंकार से फसे गुगा जी
आपकी माया मे अपनी ज़िंदगी मौत मे फसे
अगर दे सको तो सुनो गुगा जी महाराज
पहले वचन मे मेरे धर्म भाई बावरी की जान बचाओ
दूजे वचन मे मेरे धर्म के भाई के शीश हाथ रख के
छप्पन कलवे की माया शीश रख के जाओ
तीजे वचन की पक्की आन निभाओ
अपने पूजा ठान मे सबल सिंह बावरी को अपने जोड़े पूजवाओ
न मानो तो ये जोड़े दोनों हाथ
आप अपनी नगरी के मालिक सम्भालो अपनी ठाट और बात
खाली रही अगर मैं सच मे
भगतो में एक आवाज करके जाऊगी न मानो किसी पीर को
ये ऐलान खुलके भगतो के आगे चिल्ला के गाऊगी
क्या गोरख क्या गुरु सब की मानी बात
जो पीर किसी का धर्म न जाने और न जाने जज्बात
उसकी पूजा हो जगत मे क्या है उसकी औकात
अपनी शान अपने आप निभाओ मेरे तीन वचन निभा के
अपनी शान जगत मे लाओ
हुआ वीरता से भरपूर गुगा राणा उसकी माया को आज भी भगत न जाना
कोई सिद्धि भगती न मांगे बस चाहे सच्चे जज्बात
नाम जापे जो दिन मे दो बार पूरी लाये उस सेवक की ठाट
गुरु की माया मे चलता मेरा गुगा पीर
एक बार सुमरे जो सच्चे मन से लाये अमीरी जैसी तक़दीर
ये एक पीर ऐसा जो न माने किसी की आन उसको अपने गुरु के वचन प्यारे
गोरख नाथ की माया से करता हर मानव को अपने द्वारे
श्याम कौर की बात से गुगा का मन भर आया पीर ने अपना सौम्य रूप दिखाया
तीन वचन मे जो श्याम कौर ने माँगा वह पाया
तब से गुगा जी ने पांच बावरी पर अपनी दया का हाथ जमाया
हर माया हटाके सबल सिंह केसर मल बावरी को असली सुध मे लाया
गुगा जी एक तीखा वचन सुनाया जब तक छप्पन कलवे को मानव कल्याण मे लगाओगे
तब तक मेरी माया आपके साथ है न मानो तो ये
सोचो ये कोई माया के जज्बात है
गुरु माया से मैंने ये माया का वरदान को पाया
ले लेजा श्याम कौर तेरे नाम से ये माया को मैंने तेरे धर्म भाई बावरी को
ये वरदान दिया और सिद्धि रूप मे पहुचाया
इस तरह बावरी भाई ने छप्पन कलवे को गुगा जी से पाया
जो आज है पांच बावरी की माया सिद्धि मे उस सिद्धि को बहना श्याम कौर ने
बावरी भाई को गुगा पीर से दिलवाया
अब तक पा ली बावरी वीर ने चौसट योगिनी और छप्पन कलवे की माया
अब देखे क्या है राम के मन का चाहा देखे कहा गए
अब बावरी वीर देखे जोगी के वरदान
कहा लेके गयी पांच बावरी की तक़दीर
जैसे बहना श्याम कौर बचायी वैसी ही नथिया बहना की जान मुगलो से छुड़ाई
इस तरह पांच बावरी ने बावरी वंश मे तीन बहना लायी
सेडो मात की जाई दो धर्म की बहना अपनी बनायीं अब देखे क्या है तक़दीर का कहना
किस का किसके साथ होगा बिछड़ना और साथ किसका हो रहना
नगर से नगर पांच बावरी ने हरियाणा मे बदल डाले कहाँ हो ठौर ठिकाना
ये तो बावरी भी न जाने कहा जाने वह आज का जमाना क्या जाने
कहते है राम की माया का सार नही होता दुश्मनी करके कोई पार नही होता
जिस मुगलो से छुड़ाके बावड़ियों ने एक बहना से तीन बहना का परिवार बनाया
आज फिर मुग़ल साम्राज्य मे आ रहेंगे न जाने क्या है राम का चाहा
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